चार धाम यात्रा । इस यात्रा के लिए सरकार ने कई दिनो पहले से तैयारियॉ कि हुई थी । ऐसा सरकार का कहना है । चार धाम विकास परिषद भी इस पूरी यात्रा को अपनी और सरकार की बड़ी उपल्बधी के रुुप में भुनाने के लिए बढ चढ कर आह्वाहन कर रहा था । सभी तैयारियॉ काफी पहले पूरी कर ली गई है ऐसी बातें मीड़िया को बताई गई । कहा गया कि हर तरह कि सुविधा इस यात्रा के दौरान बाहर से आने वाले यात्रियों को दी जाऐगी । लेकिन यात्रा का सबसे जरुरी हिस्सा यानि कि यात्री इस यात्रा में सुरक्षित नही है । इस यात्रा बाहर से आए हमारे 33 मेहमान अभी तक अपनी जान गवॉ चुके है । ये ऑकड़ा यात्रा रुट में पड़ने वाले 4 जिलो का है । टिहरी ,देहरादून,चमौली और उŸारकाशी । इन चारो जिलो से गुजरते हुए महज एक महीने में हमारे बाहर से आए 32 मेंहमानों की मौत हो चुकी है । एक महीना और 33 मौतें । अब इन ऑकड़ो पर नजर पर गौर फरमाऐं ।
टिहरी जिलें में हार्ट अटैक से एक यात्री को जान गॅवानी पड़ी वही सड़क दुर्घटना में इस जिलें में 6 मौत हुई और नदी में ड़ुबने से एक मौत । पिछले एक महीनें में टिहरी में 8 यात्रियों की मौत हो चुकी है ।
अब बात देहरादून की, राजधानी में मई से लेकर अब तक 8 यात्री रोड़ एक्सीड़ेट में मारे जा चुके है ।
चमौली जिलें में हार्ट अटैक से 2 यात्रियों की मौत हो चुकी वही एक मेहमान नदी में ड़ूब कर मर गया ।
उŸारकाशी में हार्ट अटैक से अभी तक 11 मौते हो चुकी है वही एक यात्री रोड़ एक्सीड़्ेट और एक नदी में ड़ूबने से मर गया ।
ये ऑकड़े यात्रा प्रशासन के है। लेकिन अगर 108 आपातकालीन सेवा की बात मानी जाए तो पिछले एक महीने में चारधाम यात्रा मार्गों पर 27 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है ।
पिछले एक महीनें में 33 यात्रियों के लिए ये चार धाम यात्रा अंतिम यात्रा साबित हो चुकी है । ऐसे में सवाल ये उठता है कि त्वरित राहत देने की बात करने वाली सरकार के हवाई महल ढेर क्यों हो गए । इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि प्रशासन और सरकार ने सिर्फ दावों के हवाई फायर किए । धरातल पर देखने की जंहमत सरकार ने उठाई ही नही । दरअसल जब एक व्यक्ति को हार्टअटैक पड़ता है उस दौरान उसे विशेष उपचार की जरुरत पड़ती है ।
ड़ॉक्टर भी ये मानते है अगर किसी यात्री को हार्ट अटैक पड़ जाए तो स्पेशलिस्ट ड़ॉक्टर का होना बेहद जरुरी है । लेकिन गौर करने वाली बात ये है चार धाम यात्रा के रुट पर पड़ने वाले चार जिलों में से सिर्फ उŸाकाशी के जिला अस्पताल में ही कारड़ियोलोजिस्ट है जो हार्ट अटैक के मरीजों की देख रेख कर सकता है । उॅचाई बढने के साथ साथ हार्टअटैक के मरीजों के लिए अटैक का खतरा बढता जाता है । ऐसें में सवाल ये भी है कि 108 सेवा में ऐसे ड़ॉक्टर मौजूद है या नही जिन्हे ऐसे हालातो में किए जाने वाले उपचार में महारत हासिल हो । क्या पहाड़ो के अस्पतालों में वो सुविधाऐं है जो हार्ट अटैक से जूझ रहे मरीजो को चाहिए होती है । सवाल बेहद गंभीर है और खुद स्वास्थय सचिव भी ये मानते है कि इन अस्पतालों में स्पेशलिस्ट ड़ॉक्टरों की बेहद कमी है ।
लेकिन सरकार और उसके नुमाईंदे इस पर भी कुछ करने के बजाए वो तर्क ढूंढ रहें है जिनसे उनकी गलतियो को ढका जा सके है । शासन और उसके मुलाजिम चाहे बातों के आवरण के पीछे सच्चाई छुपाने के लाख कोशिशें कर ले लेकिन ऑकड़े के शौर मचा रहें है कि कही ना कही कुछ गड़बड़ है । नीती और नियमों में भारी बदलाव की जरुरत है और जरुरत इस बात की भी है गला फाड़ कर झूठ को सच में बदला नही जा सकता ।