Wednesday, June 29, 2011

मौत की यात्रा


चार धाम यात्रा । इस यात्रा के लिए सरकार ने कई दिनो पहले से तैयारियॉ कि हुई थी । ऐसा सरकार का कहना है । चार धाम विकास परिषद भी इस पूरी यात्रा को अपनी और सरकार की बड़ी उपल्बधी के रुुप में भुनाने के लिए बढ चढ कर आह्वाहन कर रहा था । सभी तैयारियॉ काफी पहले पूरी कर ली गई है ऐसी बातें मीड़िया को बताई गई । कहा गया कि हर तरह कि सुविधा इस यात्रा के दौरान बाहर से आने वाले यात्रियों को दी जाऐगी । लेकिन यात्रा का सबसे जरुरी हिस्सा यानि कि यात्री इस यात्रा में सुरक्षित नही है । इस यात्रा बाहर से आए हमारे 33 मेहमान अभी तक अपनी जान गवॉ चुके है । ये ऑकड़ा यात्रा रुट में पड़ने वाले 4 जिलो  का है । टिहरी ,देहरादून,चमौली और उŸारकाशी । इन चारो जिलो से गुजरते हुए महज एक महीने में हमारे बाहर से आए 32 मेंहमानों की मौत हो चुकी है । एक महीना और 33 मौतें । अब इन ऑकड़ो पर नजर पर गौर फरमाऐं ।
टिहरी जिलें में हार्ट अटैक से एक यात्री को जान गॅवानी पड़ी वही सड़क दुर्घटना में इस जिलें में 6 मौत हुई और नदी में ड़ुबने से एक मौत । पिछले एक महीनें में टिहरी में 8 यात्रियों की मौत हो चुकी है ।
अब बात देहरादून की, राजधानी में मई से लेकर अब तक 8 यात्री रोड़ एक्सीड़ेट में मारे जा चुके है ।
चमौली जिलें में हार्ट अटैक से 2 यात्रियों की मौत हो चुकी वही एक मेहमान नदी में ड़ूब कर मर गया ।
उŸारकाशी में हार्ट अटैक से अभी तक 11 मौते हो चुकी है वही एक यात्री रोड़ एक्सीड़्ेट और एक नदी में ड़ूबने से मर गया ।
ये ऑकड़े यात्रा प्रशासन के है। लेकिन अगर 108 आपातकालीन सेवा की बात मानी जाए तो पिछले एक महीने में चारधाम यात्रा मार्गों पर 27 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है ।
पिछले एक महीनें में 33 यात्रियों के लिए ये चार धाम यात्रा अंतिम यात्रा साबित हो चुकी है । ऐसे में सवाल ये उठता है कि त्वरित राहत देने की बात करने वाली सरकार के हवाई महल ढेर क्यों हो गए । इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि प्रशासन और सरकार ने सिर्फ दावों के हवाई फायर किए । धरातल पर देखने की जंहमत सरकार ने उठाई ही नही । दरअसल जब एक व्यक्ति को हार्टअटैक पड़ता है उस दौरान उसे विशेष उपचार की जरुरत पड़ती है ।
ड़ॉक्टर भी ये मानते है अगर किसी यात्री को हार्ट अटैक पड़ जाए तो स्पेशलिस्ट ड़ॉक्टर का होना बेहद जरुरी है । लेकिन गौर करने वाली बात ये है चार धाम यात्रा के रुट पर पड़ने वाले चार जिलों में से सिर्फ उŸाकाशी के जिला अस्पताल में ही कारड़ियोलोजिस्ट है जो हार्ट अटैक के मरीजों की देख रेख कर सकता है । उॅचाई बढने के साथ साथ हार्टअटैक के मरीजों के लिए अटैक का खतरा बढता जाता है । ऐसें में सवाल ये भी है कि 108 सेवा में ऐसे ड़ॉक्टर मौजूद  है या नही  जिन्हे ऐसे हालातो में किए जाने वाले उपचार में महारत हासिल हो । क्या पहाड़ो के अस्पतालों में वो सुविधाऐं है जो हार्ट अटैक से जूझ रहे मरीजो को चाहिए होती है । सवाल बेहद गंभीर है और खुद स्वास्थय सचिव भी ये मानते है कि इन अस्पतालों में स्पेशलिस्ट ड़ॉक्टरों की बेहद कमी है ।
लेकिन सरकार और उसके नुमाईंदे इस पर भी कुछ करने के बजाए वो तर्क ढूंढ रहें है जिनसे उनकी गलतियो को ढका जा सके है । शासन और उसके मुलाजिम चाहे बातों के आवरण के पीछे सच्चाई छुपाने के लाख कोशिशें कर ले लेकिन ऑकड़े के शौर मचा रहें है कि कही ना कही कुछ गड़बड़ है । नीती और नियमों में भारी बदलाव की जरुरत है और जरुरत इस बात की भी है गला फाड़ कर झूठ को सच में बदला नही जा सकता ।

कांग्रेस बनाम रामदेव


योग से उद्योग खड़ा करने वाले बाबा रामदेव और भारतीय राजनीति की धूरी रही कांग्रेस में ठनी हुई है। इस लड़ाई की पटकथा खुद रामदेव ने लिखी, और कांग्रेस उसे अमलीजामा पहना रही है, केंद्र में कांग्रेस सरकार को हिलाने पहुंचे बाबा रामदेव को कांग्रेस ने सबक सिखाया, तो प्रदेश में कांग्रेस बाबा के कम समय में फैलाये सम्राज्य पर सवाल कर, रामदेव की मुश्किलें खड़ी कर रही है। लेकिन जिन आरोपों के दम पर कांग्रेस बाबा रामदेव को लपेटना चाहती है, उसके छींटे खुद कांग्रेस पर भी पड़ते नजर आ रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत ने बाबा रामदेव पर कई सवाल उठाये।
सवाल नंबर एक- बाबा रामदेव ने हरिद्वार में ग्राम समाज की जमीनें हड़पी और स्टंप ड्यूटी चोरी की।
सवाल नंबर दो- बाबा रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण ने गलत तरीके से आग्नेय अस्त्रों के लाइसेंस लिए।
सवाल नंबर तीन- रामदेव के प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों में पैसा कहां से आया।
सवाल नंबर चार- रामदेव के गुरू कैसे गायब हुए, पतंजलि की उपमंत्री साध्वी कमला कैसे लापता हुई, राजीव दीक्षित की अचानक मौत।
कांग्रेस इन सभी मुद्दों पर केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की मांग कर रही है, लेकिन इन सभी सवालों के पीछे खुद कांग्रेस भी कटघरे में खड़ी नजर आती है, सबसे पहले सवाल उठता है कि कांग्रेस को बाबा रामदेव के घोटालों की याद अब क्यों आ रही है, इससे पहले कांग्रेस ने क्यों सीबीआई जांच करने की जहमत क्यों नहीं उठायी। कांग्रेस की केंद्र में सरकार होने के बाद भी उसके विभागों ने रामदेव की कंपनियों पर निगरानी क्यों नहीं रखी, जिस जमीन को हड़पने का कांग्रेस आरोप लगा रही है, प्रदेश में कंाग्रेस की भी सरकार रही उस समय कांग्रेस ने सुध क्यों नहीं ली। कांग्रेस के ही शासनकाल में बाबा रामदेव की दवाईयों में मानवअंग न होने की पुष्टि हुई थी और कांग्रेस ने बाबा को क्लीन चिट दी। ऐसे में सवाल कांग्रेस की नीयत पर भी उठने लाजमी है। लेकिन जिस दमखम के साथ कांग्रेस सीबीआई जांच की ताल ठोक रही है उसका नतीजा भविष्य में क्या आता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।