Tuesday, July 19, 2011

भला प्रेम का कोई मापदंड होता है क्या?

प्रेम, प्यार, मोहब्ब्त.... ये शब्द जिंदगी की पटरी पर जरूर टकराते हैं, कोई इन्हें जिंदगी में रचा-बसा लेते हैं, तो किसी को ये अधूरे आखर जिंदगी भर अखरते रहते हैं। जरा सोचिए.... प्यार करने से पहले अगर आपने कोई मापदंड बना रखे है तो फिर क्या होगा? प्यार-प्यार की तरह अधूरा रहेगा, शायद इसीलिए दिललगी के इन शब्दों को एक अधूरा अक्षर मिला। हर किसी की रूचि अलग होती है, हर किसी की सोच अलग होती है, रूकिये और उस पल को याद कीजिए जब आपने किसी से प्यार किया, क्या सोचा था आप ने उस वक्त? आपने अपने प्यार का रूप देखा और सौदर्य। बस दिवाना हो चले। लेकिन अब आपने मापदंड की कमेटी बना दी। और हर चीज के तोलने बैठ गये। नाक-नक्श से लेकर कद-काठी वगैरह-वगैरह। चलिए छोडिए... लेकिन आपको बता दें कि प्यार के इस मापदंड से आपने दिल से इंसान को समझने का मौका खो दिया। क्योकि अब आपके जेहन में प्रेम की जगह शर्तों ने डेरा जमा दिया। फिर क्या दो दिलों को एक करने वाले ये आखर भी कभी पूरे नहीं हो पाये। सदियां गुजर गई और ये आखर आज भी पूरे होने का सपना पाले हुए है। वो सपना जो दो दिवाने अक्सर पाला करते हैं। शर्तो के आगे ये भी वेबस और लाचार हैं,
प्रदीप थलवाल।

खूबसूरती का खगोलशास्त्र।

मनुष्य कुदरत का वो करिश्मा है, जो दुनियां को खूबसूरत बना दे, मूर्त रूप में भी खूबसूरती भर दे। जिसका अहसास यदाकदा आप भी महसूस करते हैं, और अपने आप में आहं भी भरते हैं। खूबसूरती का ये अहसास होने के पश्चात हर वो वस्तु आपको संुदर लगती है, फिर चाहे वो इंसानी चेहरे क्यों हो। आपके मन में शंका भी हिलारे ले सकती है, और कह सकते है कि संुदर लगना और होना अलग बात है। फिर आप नवजात सुकुमार की छवि को मन में अंकित कर सकते हैं... क्योंकि नवजात शिशु को हर कोई पसंद करता है और यही नजरिया आपको खूबसूरती का अहसास कराती है, क्योकि प्रेम की दृष्टि में हर चीज सुंदर है। यही प्यार उन सवालों का जवाब है जिसे समाज, इतिहास और विज्ञान भी नहीं सुलझा पाये। फर्क सिर्फ इतना है कि आप कैसे देखते है। आपके चाहने वाले किस नजारिये से आपको देखते हैं, आप किसी को अच्छे लगते हो, कोई है जो आपकी कद्र करता है, जो आपको आपके अच्छेपन का या कहें कि खूबसूरती का मीठा अनुभव कराता है। जिसकी आंखों में हर उदास पल में भी आपका चेहरा तैरता रहता है। उस वक्त उसके मन में बिजली की गति से भी तेज कल्पनाएं दौड़ती फिरती है, लेकिन आप हो कि इस प्रेम का अहसास रत्ति भर भी नहीं कर पाती, बस उसे तो इतना ही पता है कि तुम बहुत खूबसूरत हो... और दिल की सुनाई देने वाली आवाज से दुनियां को आवाज देता है कि तुम बहुत खूबसूरत हो....!   प्रदीप थलवाल।