Tuesday, July 19, 2011

खूबसूरती का खगोलशास्त्र।

मनुष्य कुदरत का वो करिश्मा है, जो दुनियां को खूबसूरत बना दे, मूर्त रूप में भी खूबसूरती भर दे। जिसका अहसास यदाकदा आप भी महसूस करते हैं, और अपने आप में आहं भी भरते हैं। खूबसूरती का ये अहसास होने के पश्चात हर वो वस्तु आपको संुदर लगती है, फिर चाहे वो इंसानी चेहरे क्यों हो। आपके मन में शंका भी हिलारे ले सकती है, और कह सकते है कि संुदर लगना और होना अलग बात है। फिर आप नवजात सुकुमार की छवि को मन में अंकित कर सकते हैं... क्योंकि नवजात शिशु को हर कोई पसंद करता है और यही नजरिया आपको खूबसूरती का अहसास कराती है, क्योकि प्रेम की दृष्टि में हर चीज सुंदर है। यही प्यार उन सवालों का जवाब है जिसे समाज, इतिहास और विज्ञान भी नहीं सुलझा पाये। फर्क सिर्फ इतना है कि आप कैसे देखते है। आपके चाहने वाले किस नजारिये से आपको देखते हैं, आप किसी को अच्छे लगते हो, कोई है जो आपकी कद्र करता है, जो आपको आपके अच्छेपन का या कहें कि खूबसूरती का मीठा अनुभव कराता है। जिसकी आंखों में हर उदास पल में भी आपका चेहरा तैरता रहता है। उस वक्त उसके मन में बिजली की गति से भी तेज कल्पनाएं दौड़ती फिरती है, लेकिन आप हो कि इस प्रेम का अहसास रत्ति भर भी नहीं कर पाती, बस उसे तो इतना ही पता है कि तुम बहुत खूबसूरत हो... और दिल की सुनाई देने वाली आवाज से दुनियां को आवाज देता है कि तुम बहुत खूबसूरत हो....!   प्रदीप थलवाल।

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