Monday, September 20, 2010

टिहरी बांध का जलस्तर बढ़


एशिया का सबसे बडा़ बांध इस समय चर्चा का विषय बना है। वजह कोई और नहीं बल्कि बारिश है। दरअसल प्रदेश में भारी बारिश से नदियां अपने उफान पर है। जिससे भागीरथी और भिलंगना नदी पर बने टिहरी बांध का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। हालत ये हो चुके हैं कि लगभग 45000 क्यूमैक्स पानी स्टोर करने की क्षमता रखने वाला टिहरी बंाध में पानी का जलस्तर 19 सितंबर की रात तक 827.30 एमएसएल तक पहुंच गया था। रविवार को 25 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहे झील के स्तर का सोमवार को एमएसएल 831 तक पहुंच गया अगर यही स्थिति रही तो जलस्तर एमएसएल 835 के आसपास तक पहुचने की संभावना है। जिससे कोटेश्वर बांध को भी खतरा पहुंच सकता है। यही नहीं एमएसएल 835 तक जलस्तर पहुचने से चिन्यालीसौड़ कस्बा तो घनसाली कस्बे तक भी झील में समा जायेगा साथ ही आसपास के लगभग 70 गांव पानी में डूब जायेंगे तो लगभग 100 गांव के लोग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। वहीं बांध सूत्रों की माने तो इस समय टिहरी झील का पानी छोड़ना किसी आफत को दावत देना है। सूत्रों की मानें तो झील में सोलह सौ क्यूमैक्स पानी आ रहा है। जो कि बांध क्षमता को सीधे प्रभावित कर रहा है। सूत्रों की माने तो अगर इतने ही पानी को छोड़ा जायेगा तो अब तक चार सौ करोड़ रूपये खर्च हो चुके कोटेश्वर बांध को सीधा नुकसान पहुच जायेगा। यही स्थिति झील से सटे गांवों की भी है। अगर पानी को स्टोर किया जाता है तो झील से लगे गांव पानी में समा जायेंगे। वहीं पुर्नावास निदेशालय का कहना है कि डूब क्षेत्र में आने वाले गांव के लोगों को ऊंचे स्थान पर शरण दे दी। लेकिन विडंबना देखिए कि बांध प्रभावित लोगों के पुर्नावास को लेकर अभी तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गयी है। वहीं मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने टीएसडीसी को तत्काल पानी छोडने के आदेश दिये हैं। लेकिन टीएचडीसी कोटेश्वर बांध को नुकसान से बचाने के लिए बांध के जलस्तर को कम नहीं कर रहा। वहीं सूत्रों का कहना है कि अगर समय पर कोटेश्वर बांध में शटर लगा दिये गये होते तो ये हालत नहीं होती। जिससे साफ होता है कि टीएचडीसी लोगों को बचाने की जगह अपने ही प्रोजेक्ट को बचाने में लगा है। अगर बांध का जलस्तर यूं ही बढ़ता गया तो गांव के डूबेंगे ही साथ ही कोई बड़ी अनहोनी भी हो सकती है।

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