चड्डा बंधु हत्याकांड की जांच दिल्ली क्राइम ब्रांच कर रही है और यह बात भी सामने आ रही है कि इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड के दौरान उत्तराखंड का एक आईएएस अफसर भी छतरपुर में मौजूद था। अगर सच में उत्तराखंड का कोई आईएएस अफसर छतरपुर में था तो यह कैसे संभव है कि दिल्ली पुलिस ने उस कथित आईएएस से कोई पूछताछ नहीं की और ना ही उत्तराखंड सरकार या पुलिस को किसी आईएएस के वहां होने की पुष्टि करी। जहां आज के टैक्नालाॅजी के युग में कौन आदमी कहां है उसकी लोकेशन खंगालना दिल्ली पुलिस के बांए हाथ का काम है। मगर आजतक उत्तराखंड के किसी आईएएस के छतरपुर में मौजूद होने का कोई सबूत सामने नहीं आ पाया है।
दूसरी ओर उत्तराखंड में अगले मुख्य सचिव पद की लड़ाई भी अंदरखाने चल रही है। अभी से रास्ता साफ किया जा रहा है, कहीं यह खबर कि उत्तराखंड का एक सीनियर आईएएस वहां मौजूद था यह भी अपने चहेते खबरनबीसों के माध्यम से हव्वा तो नहीं बनाया जा रहा है?सूत्रों की मानें तो छतरपुर में हत्याकांड के समय उत्तराखंड का कोई अधिकारी मौजूद नहीं था, इसके बावजूद बड़ी सूझबूझ और रणनीति के तहत यह खबर आग की तरह फैली। वहीं दूसरी ओर रेव पार्टी में एक आईपीएस का नाम घसीटा जाना भी पुलिस महकमें में साजिश के तहत देखा जा रहा है। इन दोनों प्रकरणों को देख कर एक पहलू यह भी निकल कर सामने आ रहा है कि माफिया तंत्र अपने हितैशी अधिकारियों और खबरनबीसों के जरिए मुख्यमंत्री पर भी निशाना साधने की तैयारी में तो नहीं है। अगर ऐसा है तो इसकी पुष्टि आने वाले दिनों में जरूर होगी।
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