Saturday, June 23, 2012

भीम अकेला नहीं!


उत्तराखंड की राजनीति में आया भूचाल आखिककार थम गया है। भाजपा की उधड़ी हुई सांसे अब सामान्य हो चुकी है, लेकिन डर अभी भी बरकरार है, भाजपा का ये डर किरण की करतूत से उपजा था, मंडल के कांग्रेस का दामन थामन से भाजपा के कमंडल में जो सुनामी आयी थी, उस सुनामी में कुछेक विधायकों के बहने के आसार थे। हुआ भी कुछ ऐसा ही, टिहरी के घनसाली में खिला भाजपा का फूल भीमलाल आर्य के कांग्रेस में चले जाने से मुरझाने वाला था, लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा के क्षेत्रीय क्षत्रपों ने भीमलाल को उठाकर, देहरादून में पार्टी नेताओं के सामने पेश किया। टिहरी से देहरादून की दूरी तय करते करते भीमलाल ने भी अपने सुर बदले और अपने आपको पार्टी का अनुशासित सिपाही बताया। टिहरी और दून की दूरी के बीच ऐसा क्या हुआ कि भीमलाल ने पूरे ड्रामे का ठीकरा मीडिया के सर फोड़ा। लेकिन भीमलाल ने ये बात नहीं बताई कि पिछले सात दिनों से वो कहां लापता थे। खैर ये बात भीमलाल कैसे स्वीकारते कि वो भी कांग्रेस का दामन थामने वाले थे। जिस प्रकार की खबर सामने आ रही थी उससे साफ हो चला था कि भीमलाल आर्य कांग्रेस की शरण में जाने वाले थे, इतना ही नहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल और नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने भी भीमलाल की घर आने की आस छोड़ दी थी, लेकिन इसके बाद भाजपा के दो बिग बी ने मोर्चा संभाला और स्थिति को काबू में कर भीमलाल आर्य की घर वापसी कराने में कामयाबी पायी। घनसाली विधायक के घर वापसी के पीछे बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं का सक्रिय होना और परिवार सहित क्षेत्रिय जनता का मुखर होना भी है। भले ही भीमलाल आर्य ने साफ कर दिया हो कि वो कांग्रेस में नहीं जाने वाले हैं, लेकिन भाजपा के विधायक के द्वारा रचे ड्रामे से पार्टी भविष्य के लिए सर्तक हो चुकी है। किरण मंडल के कांग्रेस में जाने से भयभीत भाजपा किसी भी कीमत पर अपना विधायक नहीं खोना चाहती। लिहाजा भाजपा ने कुछ दिन पहले उन विधायकों से भी मीडिया में सफाई दिलवाई कि उनके नाम को यूं ही मीडिया में घसीटा जा रहा है। पुरोला विधायक मालचंद और लैंसडाउन विधायक दिलीप रावत के बयान के बाद भले ही भाजपा ने थोड़ी राहत महसूस की हो लेकिन राजनीति के चौसर पर खेल में कब बाजी हाथ से निकल जाये इस बात को भाजपा नेता अच्छी तरह जानते भी है और समझते भी है। लिहाजा ऐसे विधायकों से नजर फेरने से वो धोखे में भी नहीं रहना चाहती। उधर कांग्रेस को मिशन भीमलाल आर्य में भले ही झटका लगा हो लेकिन कांग्रेस भी अपने मिशन को यू ही आधे पर नहीं छोड़ना चाहियेगी, भीमलाल नहीं तो कोई और के मकसद से कांग्रेस मिशन में जुटेगी। क्योंकि भाजपा में भीम अकेला नहीं हैं।

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